राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

सरकार ने कहा, मामला विचाराधीन

लोकसभा में सोमवार को राजस्थानी और भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए तीन सांसदों के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर संबंधित क्षेत्रों के दोनों पक्षों के सांसदों का समर्थन हासिल हुआ। चर्चा के दौरान सांसदों की भावनाओं का खयाल कर सदन के नेता, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आश्वासन दिया कि शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे पर नियम 193 के तहत बहस कराई जा सकती है, ताकि मंत्री इस पर कोई ठोस जवाब दे सके। बाद में गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने बताया कि सरकार राजस्थानी और भोजपुरी को अनुसूची में शामिल करने पर विचार कर रही है।
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के सांसद संजय निरूपम ने इस मसले के प्रति गृह मंत्री का ध्यान दिलाया। गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने कहा कि इस सूची में भाषाओं को शमिल करने का कोई खास मानदंड नहीं बनाया गया है। इस समय राजस्थानी और भोजपुरी सहित कुल 38 भाषाओं को अनुसूची में शामिल करने की मांग सरकार के पास लंबित है।
सदन के नेता, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आश्वासन दिया कि शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे पर नियम 193 के तहत बहस कराई जा सकती है, ताकि मंत्री इस पर कोई ठोस जवाब दे सके। बाद में गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने बताया कि सरकार राजस्थानी और भोजपुरी को अनुसूची में शामिल करने पर विचार कर रही है।
सरकार ने इसके लिए मानदंड बनाने के लिए सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था, जिसने 2004 में अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है। इस समय विभिन्न विभागों में इस रिपोर्ट पर विचार चल रहा है।
निरूपम के अलावा राजद के रघुवंश प्रसाद ने सरकार पर भोजपुरी को लेकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि 2006 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि भोजपुरी को अनुसूची में शीघ्र शामिल किया जाएगा। तत्कालीन गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि 'तुरंतÓ शामिल किया जाएगा। लेकिन चार साल बीत गए और कुछ भी नहीं हुआ।
भोजपुरी को लेकर वे इतना उग्र और अधीर हो गए कि ध्यानाकर्षण की दूसरी भाषा राजस्थानी के बारे में बोलना ही भूल गए। राजस्थान के हरीश चौधरी सहित दूसरे कांग्रेसी सांसदों ने जब उन्हें याद दिलाया तो दोबारा उठ कर राजस्थानी को शमिल करने की मांग की। राजस्थान के भाजपा सांसद अर्जुन राम मेघवाल, देवी जी पटेल, रामसिंह कस्वा ने राजस्थानी को शामिल किए जाने की मांग की। महिला आयोग की अध्यक्षा गिरिजा व्यास भी राजस्थानी को लेकर कुछ कहना चाह रही थीं पर हो-हल्ले में वे बोल नहीं पाईं। कांग्रेस के जगदंबिका पाल, बसपा के गोरखनाथ पांडे व सपा के शैलेंद्र कुमार ने भी समर्थन किया।

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