राजस्थानी फिल्मों को कर मुक्त करने व अनुदान देने पर निर्णय शीघ्र : सालोदिया
हर साल संभाग स्तर पर होगा राजस्थानी फिल्म महोत्सव, साहित्य अकादमी करवाएगी आयोजन
उदयपुर. कला एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख शासन सचिव उमराव सालोदिया ने कहा कि राजस्थान सरकार शीघ्र ही राजस्थानी फिल्मों को कर मुक्त एवं अनुदान देने पर निर्णय करेगी। वे यहां डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट एवं राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के साझे में राजस्थानी में व्यंग्य विधा विषयक सेमिनार में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि राजस्थानी बोलचाल में व्यंग्य विधा परंपरागत लेखनकला हैं। इसके माध्यम से गद्य और पद्य को रोचकता से प्रस्तुत किया जा सकता है। स्कूल शिक्षा में राजस्थानी अनिवार्य होनी चाहिए।
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र खडग़ावत ने कहा कि राजस्थानी फिल्म महोत्सव का आयोजन साहित्य अकादमी करवाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने आठ लाख रुपए स्वीकृत किए हैं। महोत्सव हर वर्ष संभाग स्तर पर होगा। बीज विषय पर पत्रवाचन हरमन चौहान ने किया और कहा कि राजस्थानी के व्यंग्य लेखन में हास्य का प्रयोग बेमिसाल है। सालोदिया ने चौहान सहित राजस्थानी फिल्मकार लोकेश मेनारिया को सम्मानित किया। अध्यक्षता करते हुए डॉ. देव कोठारी ने कहा कि व्यंग्य लेखन कठिन विधा है किन्तु समझने की सबसे सरल एवं पैनी विधा है। इस विधा में शब्दों का चयन और वाक्यों का गठन सही होना चाहिए। धन्यवाद पृथ्वीराज रत्नू, स्वागत नंदकिशोर शर्मा ने किया। संचालन डॉ. राजेंद्र बारहट ने किया।
स्वर संध्या : इस अवसर पर हुई सुर संझ्या में उमराव सालोदिया ने परंपरागत गीतों का गान किया। उन्होंने डिग्गीपुरी का राजा..., म्हारो हेलो सुणो नी रामा पीर..., मोरिया आछो बोल्यो... और धरती धोरां री... जैसे प्रसिद्ध गीतों को सुनाकर श्रोताओं को आनंदित कर दिया।
उदयपुर. कला एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख शासन सचिव उमराव सालोदिया ने कहा कि राजस्थान सरकार शीघ्र ही राजस्थानी फिल्मों को कर मुक्त एवं अनुदान देने पर निर्णय करेगी। वे यहां डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट एवं राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के साझे में राजस्थानी में व्यंग्य विधा विषयक सेमिनार में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि राजस्थानी बोलचाल में व्यंग्य विधा परंपरागत लेखनकला हैं। इसके माध्यम से गद्य और पद्य को रोचकता से प्रस्तुत किया जा सकता है। स्कूल शिक्षा में राजस्थानी अनिवार्य होनी चाहिए।
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र खडग़ावत ने कहा कि राजस्थानी फिल्म महोत्सव का आयोजन साहित्य अकादमी करवाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने आठ लाख रुपए स्वीकृत किए हैं। महोत्सव हर वर्ष संभाग स्तर पर होगा। बीज विषय पर पत्रवाचन हरमन चौहान ने किया और कहा कि राजस्थानी के व्यंग्य लेखन में हास्य का प्रयोग बेमिसाल है। सालोदिया ने चौहान सहित राजस्थानी फिल्मकार लोकेश मेनारिया को सम्मानित किया। अध्यक्षता करते हुए डॉ. देव कोठारी ने कहा कि व्यंग्य लेखन कठिन विधा है किन्तु समझने की सबसे सरल एवं पैनी विधा है। इस विधा में शब्दों का चयन और वाक्यों का गठन सही होना चाहिए। धन्यवाद पृथ्वीराज रत्नू, स्वागत नंदकिशोर शर्मा ने किया। संचालन डॉ. राजेंद्र बारहट ने किया।
स्वर संध्या : इस अवसर पर हुई सुर संझ्या में उमराव सालोदिया ने परंपरागत गीतों का गान किया। उन्होंने डिग्गीपुरी का राजा..., म्हारो हेलो सुणो नी रामा पीर..., मोरिया आछो बोल्यो... और धरती धोरां री... जैसे प्रसिद्ध गीतों को सुनाकर श्रोताओं को आनंदित कर दिया।
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