भेळे हुए दिशा और दशा तय करने, लगे रहे टांग खिंचाई में

राजस्थानी सिनेमा की दिशा और दशा पर परिचर्चा में सामने आया राजस्थानी सिनेमा से जुड़े लोगों का बिखराव


जयपुर। हमें अगर अपने सिनेमा को आगे बढ़ाना है तो एक होना होगा। एक दूसरे की टांग खिंचाई बंद करने से ही इस इंडस्ट्री का भला हो सकता है। एकता के इस सूत्र को जिस दिन पकड़ लेंगे हमारा सिनेमा भी रफ्तार पकड़ लेगा। यह निचोड़ रहा राजस्थानी सिनेमा की दिशा और दशा पर परिचर्चा का। आरएफएफ के एक दिन पहले आयोजित इस परिचर्चा में राजस्थानी सिनेमा से जुड़े लोगों का बिखराव दिखाई दिया। कोई किसी के विचार से सहमत नहीं था। सबकी अपनी-अपनी डफली थी और अपना-अपना राग। कार्यक्रम का संचालन राजस्थानी सिनेमा के लीजेंड अभिनेता क्षितिज कुमार ने किया।


इस बार भी मालू निशाने पर

राजस्थानी सिनेमा से जुड़े हर फंक्शन की तरह इसमें भी वीणा केसेट्स के केसी मालू निशाने पर रहे। इस बार मालू निर्देशक अनिल सैनी के निशाने पर थे। कला एवं संस्कृति के नाम पर मिलने वाले अनुदान को लेकर दोनों उलझते नजर आए। एक बार फिर उनसे पूछा गया कि वे कब उस फिल्म का निर्माण करेंगे जिसकी घोषणा वे तीन साल से हर बार करते हैं। इस पर उन्होंने कहा कि वे अभी फिल्म निर्माण सीखने की स्टेज पर हैं। सीख जाएंगे तो बनाएंगे।

जन्मभूमि के लिए भी तो कुछ करें

निर्माता/निर्देशक मोहन कटारिया ने सावन कुमार टाक व अन्य ऐसे राजस्थानियों को आड़े हाथों लिया जो बॉलीवुड में बहुत अच्छी पोजिशन में हैं, लेकिन उन्होंने कोई राजस्थानी फिल्म नहीं बनाई। हालांकि, उन्होंने इस दौरान किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह कह कर सावन कुमार टाक की तरफ भी इशारा कर ही दिया कि -‘उनमें से एक तो हमारे साथ ही मंचासीन ही है।’ उन्होंने कहा कि राजस्थान में जन्मे, राजस्थान के नाम का खा रहे हैं तो फिर इस धरती के लिए, यहां के सिनेमा के लिए क्यों कुछ नहीं करते।

हम अपने दुख-दर्द लेकर किसके पास जाएं

निर्देशक लखविंदर सिंह ने कहा कि फिल्म से जुड़े लोग अपनी परेशानी, अपना दुख दर्द लेकर किसके पास जाएं। न कोई एसोसिएशन है और न कोई ऐसा आदमी जो मदद करे। उन्होंने मंचासीन अतिथियों से सवाल किया कि आाप लोग इतने वरिष्ठ हैं आप लोगों ने अब तक कोई एसोसिएशन क्यों नहीं बनाई। इस पर डिस्ट्रीब्यूटर आरके सारा ने किसी एसोसिएशन का नाम लिया तो निर्माता राजेंद्र गुप्ता खेड़े हो गए। उन्होंने कहा कि क्या काम किया है उस एसोसिएशन ने। उन्होंने सवाल उठाया कि फिल्म भवन को क्यों नहीं राजस्थानी फिल्मों से जुड़े कार्यक्रमों के लिए निशुल्क उपलब्ध कराया जाता।

डीडी राजस्थान पर चलाएं राजस्थानी फिल्म

दूरदर्शन केंद्र के अजय कुमार ने कहा कि डीडी राजस्थान अब 24 घंटे का हो गया है। अब आप इस पर राजस्थानी फिल्म भी दिखा सकते हैं, बस इसकी टेलीकास्ट फीस करीब 60 हजार रुपए देकर।  फिल्म के बीच में विज्ञापन देकर निर्माता अच्छी रिकवरी कर सकते हैं। इच्छुक निर्माता प्रपोजल बनाकर लाएं हम जरूर इसपर काम करेंगे।

इन्होंने भी रखे अपने विचार

परिचर्चा में निर्माता व फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर नंदू जालानी, नाट्य निर्देशक साबिर खान ने भी अपने विचार रखे। इस मौके पर अभिनेता पीएम चौधरी, कपिल स्टूडियो के कपिल, गीतकार धनराज दाधीच, निर्देशक विक्रम शर्मा, अभिनेत्री नेहाश्री सहित राजस्थानी सिनेमा से जुड़े लोग मौजूद थे। अंत में आरएफएफ की डाइरेक्टर संजना ने परिचर्चा में भाग लेने के लिए सबका आभार व्यक्त किया।

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