हम ही नहीं देखेंगे तो कौन देखेगा हमारा सिनेमा
राजस्थानी भाषा की सौवीं फिल्म होने का गौरव प्राप्त करने वाली फिल्म ओढ़ ली चुनरिया के नायक इमरान खान कोहरी बॉम्बे से बीकानेर जाते समय कुछ देर के लिए जयपुर रुके। इस दौरान हमने उनसे राजस्थानी सिनेमा की स्थिति पर चर्चा करने के साथ उनके कैरिअर के बारे में भी बात की।
शिवराज गूजर
अन्य राज्यों से राजस्थानी सिनेमा की तुलना करना ही बेमानी है क्योंकि वहां सिनेमा को सरकार का पूरा सपोर्ट मिलता है। सब्सिडी के साथ ही अन्य कई सहयोग सरकार की ओर से निर्माता को मिलते हैं। हमारे यहां तो सब्सिडी और अन्य सहायताएं तो दूर की बात है टैक्स फ्री करवाने में निर्माता-निर्देशकों की चप्पलें घिस जाती हैं।
यानी सरकार सहयोग करे तो राजस्थानी सिनेमा में जान फूंकी जा सकती है?
बिल्कुल, लेकिन इसके साथ ही हमारे लोगों को भी राजस्थानी फिल्मों के प्रति नजरिया बदलना पड़ेगा। जैसे ही कोई हिंदी या इंग्लिस डब फिल्म रिलीज होती है लोग देखने को टूट कर पड़ते हैं, लेकिन राजस्थानी फिल्म के प्रति ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलता। अपनी भाषा के सिनेमा के प्रति यह उदासीनता भी राजस्थानी सिनेमा के पिछडऩे का एक बड़ा कारण है।
अच्छा ये बताएं आपका फिल्मों में कैसे आना हुआ।
बीकानेर में कजरी फिल्म के लिए आडिशन हो रहे थे। अपने थियेटर के साथियों से मुझे यह पता चला तो मैं भी आूडिशन देने चला गया। भाग्य की बात है कि उन्हें मेरे जैसे ही फेस की जरूरत थी या यूं कहिए कि मैं उनकी फिल्म के कैरेक्टर में फिट बैठ रहा था, इसलिए उन्होंने मुझे सलेक्ट कर लिया। इस तरह कजरी से मेरे फिल्मी कैरियर की शुरुआत हुई।...लेकिन आपकी पहली फिल्म तो 'ओढ़ ली चुनरिया' है।
आपने सही कहा, ओढऩी मरी पहली रिलीज फिल्म है। इसके साथ ही इसके साथ और पॉइंट है जो इसे मेरे लिए और भी स्पेशल बना देता है, वो है इसे सौवीं राजस्थानी फिल्म होने का गौरव मिलना। मुझे गर्व है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा हूं।
आपकी आने वाली फिल्में कौन-कौन सी हैं।
राजस्थानी भाषा में मेरी दो फिल्में फ्लोर पर जाने वाली हैं। इनमें से एक है राजू बणग्यो एमएलए और दूसरी है राजा राजस्थानी। इसके अलावा आमिर खान के छोटे भाई हैदर के साथ मेरी हिंदी फिल्म घाव रिलीज होने वाली है। इसके बाद मेरी सबसे पहले साइन की गई फिल्म कजरी रिलीज होगी।
आप अपने प्रदेश के लोगों से कुछ कहना चाहेंगे।
जी हां। आपके माध्यम से मैं हमारे प्रदेश की जनता से कहना चाहता हूं कि राजस्थानी फिल्में भी बहुत अच्छी होती हैं। परिवार के साथ देखने लायक। अगर कोई राजस्थानी फिल्म रिलीज होती है तो बनी बनाई धारणा को छोड़कर देखने अवश्य जाएं। अपनी भाषा, अपनी संस्कृति से जुड़ी फिल्म देखने में आपको वाकई मजा आएगा। अच्छा और बुरा तो दुनिया जबसे बनी है तबसे है। इसलिए हो सकता है कोई राजस्थानी फिल्म देखने का आपका अनुभव अच्छा नहीं रहा हो, लेकिन उसके फेर में अच्छी फिल्मों की अनदेखी नहीं करें। सोचिए-हम ही नहीं देखेंगे तो कौन देखेगा हमारा सिनेमा।
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