पटकथा लेखक कन्नन अय्यर को याद किया
जयपुर. राजस्थानी व हिंदी फिल्मों में समान रूप से सक्रिय रहे पटकथा लेखक कन्नन अय्यर की पुण्यतिथि बुधवार को निर्देशक लखविंदर सिंह के त्रिमूर्ति सर्किल स्थित कार्यालय में मनाई गई। इस दौरान फिल्मकारों व कलाकारों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला।
स्व. अय्यर ने फिल्म इंडस्ट्री में सहायक निर्देशक के रूप में शुरूआत की। हालांकि वे दक्षिण भारतीय थे, लेकिन उनकी हिंदी पर जबर्दस्त पकड़ थी। उन्होंने भंवरी जैसी चर्चित राजस्थानी फिल्म के अलावा महर करो पपळाज माता, माटी का लाल मीणा गुर्जर, साथ कदे न छूटे और हुकुम की पटकथा लिखी। भोजपुरी में भी उन्होंने तीन फिल्में लिखी। छोटे परदे पर भी उनका नियमित दखल रहा। अंदाज, अमरप्रेम, जान, जंग, युग, विश्वास और सलाखों के पीछे जैसे करीब 35 धारावाहिक लिखे। अंतिम दिनों में भी वे एक अनाम फिल्म की पटकथा पर काम कर रहे थे।
स्व. अय्यर ने फिल्म इंडस्ट्री में सहायक निर्देशक के रूप में शुरूआत की। हालांकि वे दक्षिण भारतीय थे, लेकिन उनकी हिंदी पर जबर्दस्त पकड़ थी। उन्होंने भंवरी जैसी चर्चित राजस्थानी फिल्म के अलावा महर करो पपळाज माता, माटी का लाल मीणा गुर्जर, साथ कदे न छूटे और हुकुम की पटकथा लिखी। भोजपुरी में भी उन्होंने तीन फिल्में लिखी। छोटे परदे पर भी उनका नियमित दखल रहा। अंदाज, अमरप्रेम, जान, जंग, युग, विश्वास और सलाखों के पीछे जैसे करीब 35 धारावाहिक लिखे। अंतिम दिनों में भी वे एक अनाम फिल्म की पटकथा पर काम कर रहे थे।
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