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एनसीईआरटी ने माना राजस्थानी को मातृभाषा

आठ करोड़ राजस्थानियों की भावनाओं का सम्मान, अखिल भारतीय विद्यालय शिक्षा सर्वेक्षण में पहली बार राजस्थानी शामिल
त्रिभुवन. जयपुर
देश के आठ करोड़ राजस्थानियों की मातृभाषा के लिए देश में एक नई जीत दर्ज हुई है। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च ऐंंड ट्रेनिंग एनसीईआरटी ने आठवें अखिल भारतीय विद्यालय शिक्षा सर्वेक्षण में राजस्थानी को मातृभाषा माना है। यह सर्वेक्षण देश भर के मान्यता प्राप्त सेकंडरी और सीनियर सेकंडरी स्कूलों में इन दिनों करवाया जा रहा है। राजस्थान में भी यह सर्वेक्षण शुरू हो चुका है। भास्कर ने अनिवार्य शिक्षा कानून बनते ही राजस्थानी का मुद्दा उठाया था। इसे लेकर कई अभियान भी चले और यह मुद्दा संसद में भी कई बार गूंजा। खास बात ये है कि राजस्थानी भाषा को बच्चों की मातृभाषा के रूप में दर्ज करने वाला यह सर्वेक्षण सिर्फ राजस्थान नहीं, बल्कि पूरे देश में करवाया जा रहा है। इससे यह जानकारी हासिल होगी कि किस प्रदेश में कितने बच्चे राजस्थानी को मातृभाषा के रूप में बोल रहे हैं।
एनसीईआरटी का यह सर्वे राजस्थान में एसआईईआरटी की ओर से करवाया जा रहा है। एसआईईआरटी की निदेशक लक्ष्मी ननमा ने भास्कर को बताया कि इस बार मातृभाषाओं के रूप में देश की कुल 50 भाषाओं को चुना गया है। इसमें राजस्थानी भाषा का कोड 39 रखा गया है। राजस्थानी के अलावा इस बार जीलियांग, रूसी, तिब्बती, स्पेनिश, पुर्तगाली, निकोबारी, मिजो, कोन्यक, खासी, सेमा, लोठा, लिंबू, लेपचा, लद्दाखी, ककबरक, गारो, बोधी, भूतिया, भोती, एओ, अंगामी जैसी भाषाओं को भी शामिल इस सर्वेक्षण में शामिल किया गया है। सर्वेक्षण में राजस्थानी जैसी भाषाओं के स्थानीय बोलियों को लेकर किसी तरह का भ्रम नहीं हो, इसके लिए अलग से परिभाषा दी गई है। इसमें साफ तौर पर बताया गया है कि मातृभाषा का आशय घर, गली, पड़ोस, दोस्तों और सगे-संबंधियों के बीच बोली जाने वाली भाषाओं से है।
सर्वे में क्या?
इस सर्वेक्षण के विद्यालय सूचना प्रपत्र 2 के सवाल 9 में राजस्थानी को लेकर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि स्कूल में मातृभाषा के रूप में राजस्थानी के जरिए पढ़ाया जा रहा है या नहीं। प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में भी इन दिनों यही सवाल पूछा जा रहा है। कई जगहों पर शिक्षकों ने कहा है कि अभी वे राजस्थानी में अधिकृत तौर पर नहीं पढ़ा रहे हैं, लेकिन जहां भी समस्या आती है, वहां वे राजस्थानी में ही छात्रों को जटिल शब्द, गणितीय सवाल या विषयवार प्रश्न समझा रहे हैं।
साहित्यकार बोले- बड़ा कदम
राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की दिशा में यह सकारात्मक और बड़ा कदम है।
-नंद भारद्वाज
राजस्थानी की मान्यता के रूप में यह मोहर है।    
-सत्यनारायण सोनी
राजस्थान की भाषा राजस्थानी ही है। इस सर्वे से यह स्थापित हो जाएगा।    
-सीपी देवल
एनसीईआरटी ने शिक्षा के सैट अप में राजस्थानी को मान्यता देकर न्यायपूर्ण कदम उठाया है।    
-राजेंद्र बारहठ, प्रदेश महामंत्री, राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन
इससे राजस्थानी भाषा के आंदोलन की सार्थकता साबित हुई है।    
-जनकराज पारीक
दैनिक भास्कर से साभार

1 टिप्पणी

sushil bhargava ने कहा…

शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होना चाहिए | पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलम का यह कथन कि - मै एक सफल वैज्ञानिक बन सका क्योकि मैंने मातृभाषा मै शिक्षा ली | पूज्य रविन्द्र नाथ जी ने कई किताबे अंग्रजी भाषा मे लिखी पर उन्हें नोबल पुरस्कार "गीतांजली" पर मिला जो बंगला मे लिखी

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