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मायड़ भाषा को मान्यता की मांग ने जोर पकड़ा

जयपुर . राजस्थान और देश विदेश में मौजूद प्रमुख राजस्थानियों ने केंद्र और राज्य सरकार से अब राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची के माध्यम से मातृभाषा का दर्जा देने की मांग की है। छोटे और बड़े पर्दे के कई कलाकारों ने भी कहा है कि राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता मिलने से प्रवासी राजस्थानियों के गौरव और राजस्थान की गरिमा में विस्तार होगा।
वाशिंगटन : केंद्र अब और देर नहीं करे
राजस्थानी विश्व की समृद्धतम भाषाओं में से एक है। केंद्र सरकार को अब इसे संवैधानिक मान्यता देने में देर नहीं करनी चाहिए।
प्रो. लखन गोसाईं, भाषा विभाग, जॉन्स होपकिंस यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन डीसी
लंदन : जल्द मान्यता मिले मायड़ भाषा को
राजस्थानी को केंद्र सरकार जल्दी मान्यता दे।
हनुवंतसिंह राजपुरोहित, चार्टर्ड एकाउंटेंट, लंदन
सिंगापुर : राजस्थानी को मिले मान्यता
सिंगापुर सहित विभिन्न द्वीपों में छोटी भाषाओं तक को मान्यता है तो हमारे यहां ऐसा क्यों नहीं?
मोहनकुमार, राजस्थानी प्रवासी मंच, सिंगापुर
राजस्थानी आठवीं अनुसूची में शामिल हो
राजस्थानी को 8वीं अनुसूची में शामिल कराने के संघर्ष को बल मिला है।
जितेंद्र कुमार सोनी, आईएएस, एलबीएस राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी, उत्तराखंड
 सरहद के सैनिक भी राजस्थानी के पक्ष में
राजस्थान भाषा राजस्थान का प्राण है। अब सरकार तुरंत आगे आए और इसे मान्यता दे।
मेजर रतन जांगीड़, राजकोट
पहली से पढ़ाई जाए राजस्थानी
कक्षा 12वीं तक की शिक्षा राजस्थानी भाषा में देने का निर्णय जल्दी हो।
डॉ. कल्याणसिंह शेखावत, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थानी विभाग, जेएनवी जोधपुर
छोटे-बड़े पर्दे के सितारे भी राजस्थानी चाहें

राजस्थानी को मान्यता नहीं मिलना जुल्म है। एनसीईआरटी के इस फैसले से उम्मीद जगी है।
नीलू व अरविंदकुमार, राजस्थानी सिने कलाकार
राजस्थानी को मान्यता मिलने से मुंबई में साहित्य, सिनेमा और टीवी क्षेत्र में सक्रिय लोगों का महत्व भी बढ़ेगा। अमर शर्मा, अभिनेता (बालिका वधू में मदनसिंह की भूमिका निभाने वाले )
राजस्थानी को 8वीं अनुसूची से जोड़ो
मूल काम आठवीं अनुसूची में राजस्थानी को जोडऩा है।
देव कोठारी, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर।
यह ऐतिहासिक घटना
एनसीईआरटी शिक्षा के क्षेत्र में प्रामाणिकता के मापदंड निर्धारित करती है। इस लिहाज से यह ऐतिहासिक घटना है।
- प्रो. जीएसएल देवड़ा, पूर्व कुलपति, वर्धमान महावीर कोटा खुला विश्वविद्यालय, कोटा।
दैनिक भास्कर से साभार

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