यह थे राजस्थानी फिल्मों के पहले हीरो

हिंदी और राजस्थानी सिनेमा के लोकप्रिय/सफल नायक महिपाल को उनकी 13वीं बरसी पर भावभीनी श्रद्धांजलि







एमडी सोनी
जोधपुर में जन्मे इस नवरंगी नायक पर हम राजस्थानियों को हमेशा नाज रहेगा। वे श्वेताम्बर जैन समाज के गौरव थे। माला के मानक मनकों की तरह, 108 फिल्मों में वे नायक बने। राजस्थानी फिल्मों के पहले हीरो और लताजी के प्रथम पार्श्वगीत के गीतकार का श्रेय भी उन्हें हासिल हुआ। भोजपुरी कवि और सिने गीतकार मोती बी.ए. उन्हें अपने दौर का सबसे सुंदर हीरो मानते थे। फिल्मी पर्दे पर प्रेम अदीब के बाद, वे ही भगवान राम के पर्याय रहे। जितने विविधतापूर्ण किरदार महीपाल ने निभाए, उतने शायद दूसरे नायकों के हिस्से में नहीं आए! वे भगवान बने और भक्त भी। लोकदेवता बने, तो संत/कवि भी। राजा बने, तो राजगायक भी। फंतासी जांबाज बने, तो जादुगर भी। महिपाल ने चार राजस्थानी फिल्मों में अभिनय किया, ये थीं नजराना, बाबा रामदेव, ढोला मरवण व गोगाजी पीर।

भाग्यशाली हूं कि मुझे लगभग 25 साल उनके संपर्क में रहने का सुअवसर मिला। इस दौरान, बराबर पत्राचार रहा। फोन पर कई बार बातचीत हुई। जोधपुर, जयपुर और मुंबई में आत्मीयता भरी यादगार मुलाकातें हुई। उन्होंने मुझे जो स्नेह दिया। पत्रकार के तौर जो भरोसा किया, मान दिया, उसे मैं कभी नहीं भूल सकता। उपहार में प्राप्त दो काव्य संग्रह के अलावा उनके लिखे बीसियों पत्र मेरी अनमोल निधि हैं।

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