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मैंने हमेशा नये कलाकारों को तरजीह दी

अपनी नई फिल्म 'बाई सुगना चाली सासरे' के लिए लोकेशन देखने जयपुर आए निर्माता-निर्देशक संदीप वैष्णव से बातचीत
शिवराज गूजर
जयपुर. मैने हमेशा नये कलाकारों को तरजीह दी है। यहां तक कि कई फिल्मों में तो मैनें ठेठ ग्रामीणों से भी अभिनय करवाया है। फिल्म तैयार होने के बाद मैने पाया कि उनके अभिनय में ज्यादा वास्तविकता थी। यह कहना है राजस्थानी फिल्मों के जाने-माने निर्माता निर्देशक संदीप वैष्णव का। वे इन दिनों अपनी नई फिल्म 'बाई सुगना चाली सासरे' की शूटिंग के लिए लोकशन देखने राजस्थान के दौरे पर हैं। पाली व बीकानेर होते हुए वे गुरुवार को जयपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म के बारे में बताया। पाली, बीकानेर व जोधपुर सहित राजस्थान के लगभग सभी बड़े कस्बों में इसकी शूटिंग की जाएगी। इसके साथ ही मेरी कोशिश रहेगी कि मैं फिल्म में वहां के स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दूं।
महिला प्रधान विषय से विशेष लगाव
मुझे नारी प्रधान विषय ज्यादा लुभाते हैं। मेरी पहली राजस्थानी फिल्म थारी-म्हारी भी नारी प्रधान फिल्म थी। इसके अलावा-मां थारी ओळ्यूं घणी आवे, घर मैं राज लुगायां को, सरूप बाइसा, माता राणी भटियाणी, जय श्री आई माता, मां-बाप ने भूलज्यो मती, माजी सा रो रातीजगो, सभी में नारी ही केंद्र में थी। आने वाली फिल्म 'बाई सुगना चाली सासरे' में भी विषय महिलाओं से ही जुड़ा है।
बगैर प्रचार के नहीं चल सकती फिल्म
मेरा मानना है कि जब तक लोगों की जबान पर आपकी फिल्म का नाम नहीं होगा, वह नहीं चल सकती। ...और यह हो सकता है सिर्फ और सिर्फ प्रचार से। इसके लिए आपको फिल्म की योजना बनाने के साथ ही सक्रिय हो जाना चाहिए। आपकी फिल्म का मुहूर्त होने के साथ ही उससे और उसकी शूटिंग से जुड़ी खबरें समाचार पत्र-पत्रिकाओं में छपनी व चैनलों पर चलनी शुरू हो जाए, ताकि फिल्म बनने तक उसके लिए माहौल तैयार हो जाए।
अब तक नौ
मैंने राजस्थानी भाषा में अब तक नौ फिल्में बनाई हैं। दसवीं फिल्म 'बाई सुगना चाली सासरे' निर्माणाधीन है। इसके गानों की रिकॉर्डिंग हो चुकी है। अगले महीने से इसकी शूटिंग शुरू करने का विचार है। अगर मौसम ने साथ दिया तो मई में शूटिंग शुरू कर दूंगा। लोकशन देखने के दौरान मुझे कुछ लोगों ने राजस्थान में पडऩे वाली गर्मी के बारे में याद दिलाते हुए शूटिंग शेड्यूल में बदलाव की बात कही है। इस दौरे के दौरान गर्मी ने मुझे कुछ-कुछ उनकी सलाह के महत्व को समझा दिया है। ऐसे में अगर गर्मी का प्रकोप कम नहीं हुआ तो अगस्त के अंत में या सितंबर के प्रथम सप्ताह का शेड्यूल बनाऊंगा।

2 टिप्‍पणियां

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा लगा बातचीत पढ़ना!

Unknown ने कहा…

Shiv Raj ji first thanks to you for think like this for aapni boli aur aapna log!!!!!!!
aur hardik badhai
ishavar aapko iss karya me safal kare.




sunny mandavarra

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