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सरकार गंभीरता से ले राजस्थानी सिनेमा को

सरकारी उपेक्षा का ही परिणाम है कि सात दशक में भी पहचान नहीं बना पाया राजस्थानी सिनेमा, संवारने की घोषणाएं तो कई हुईं, लेकिन अमल नहीं हुआ
संतोष निर्मल
जयपुर. राजस्थानी फिल्में अपने सात दशक (६८ वर्ष) पूरे करने जा रही हैं। चिंता की बात यह है कि ये अभी भी अपनी पहचान को तरस रही हैं। राजस्थानी फिल्मों से जुड़े लोग अलग-अलग पड़े हुए हैं। कुछ हिम्मत करके अपने बल पर फिल्में बना भी रहे हैं, पर न तो उन्हें सिनेमाघरों का समर्थन मिलता है न और ही सरकार का। उनकी फिल्में छोटे शहरों व कस्बों तक ही सीमित होकर रह जाती हैं। न तो राजस्थानी फिल्मों को मनोरंजन कर से मुक्त किया जाता है, न उसकी शूटिंग के लिए लोकेशन के शुल्क में छूट दी जाती है। उनसे वही शुल्क वसूला जाता है, जो करोड़ों के बजट वाली हिंदी फिल्मों के निर्माता से लिया जाता है। ऐसे में राजस्थानी फिल्मों के निर्माता-निर्देशक अपनी फिल्मों की शूटिंग गांवों व इसी तरह की अन्य जगह पर करने को मजबूर होते हैं। यही कारण है कि सांस्कृतिक रूप से धनी राजस्थान की फिल्मों में ही राजस्थान बहुत कम नजर आता है।
समय-समय पर सरकार राजस्थानी फिल्मों की सहायता की घोषणा अवश्य करती है, लेकिन उन पर अमल नहीं हो पाता। उल्लेखनीय है कि गुजरात, मध्यप्रदेश, हरियाणा व उत्तरप्रदेश में क्षेत्रीय फिल्मों को वहां की सरकारें काफी प्रोत्साहित करती हैं। राजस्थान सरकार इस मामले में काफी पीछे है। राजस्थानी फिल्मों से जुड़े हम सभी लोग राजस्थान सरकार से भी वही सहयोग चाहते हैं, जो अन्य प्रदेशों की सरकारें अपने क्षेत्रीय फिल्म निर्माताओं को देती हैं। मुख्यमंत्री से हमारी ये कुछ मांगें हैंं। यदि सरकार इन पर गंभीरतापूर्वक विचार करे तो राजस्थानी फिल्में न सिर्फ राजस्थान में, बल्कि देश-विदेश में भी अपनी पहचान बना सकेंगी।
मुख्यमंत्री से मांग: -
प्रत्येक राजस्थानी फिल्म को एक वर्ष के लिए आवश्यक रूप से मनोरंजन कर से मुक्त किया जाए। राजस्थानी फिल्म निर्माताओं को राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाए। राजस्थानी फिल्मों की शूटिंग के लिए निशुल्क लोकेशन (किले, हवेलियां व अन्य) उपलब्ध करवाई जाए।  राजस्थान फिल्म विकास निगम की स्थापना की जाए। फिल्म संबंधी सभी निर्णय सभी निर्णय इसी निगम के अंतर्गत लिए जाएं। राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक जिले में मिनी थियेटर बनवाए जाएं, जिनमें सिर्फ राजस्थानी फिल्में ही प्रदर्शित की जाएं। राजस्थान सरकार की ओर से प्रतिवर्ष राजस्थानी फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जाए। राजस्थानी फिल्मों तथा कलाकारों के लिए पुरस्कारों की घोषणा की जाए। राजस्थानी फिल्मों से जुड़े कलाकारों को आर्थिक सहायता दी जाए। राजस्थानी फिल्म एकेडमी की स्थापना की जाए। जयपुर दूरदर्शन पर राजस्थानी फिल्मों एवं राजस्थानी भाषा के कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाए। राजस्थानी भाषा के कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की ओर से विज्ञापन दिए जाएं।

1 टिप्पणी

O.L. Menaria ने कहा…
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