महंगी लोकेशन पर कैसे शूट हों राजस्थानी फिल्में : मोहन कटारिया

राजस्थानी फिल्मों पर गोष्ठी (पहली कड़ी) : मोहन कटारिया ने बताई निर्माता निर्देशकों के समक्ष आने वाली परेशानियां
जयपुर. राजस्थानी फिल्मों के पिछडऩे का एक कारण यह भी है कि वह आज भी खेत- खलिहानों में ही शूट हो रही हैं। राजस्थानी फिल्मों के निर्माता की यही कोशिश रहती है कि कोई हवेली या कोठी उसे बिना पैसे दिए  शूटिंग के लिए मिल जाए तो काम चल जाए। पूरी ल्मि के निर्माण के दौरान इस काम चलाऊ आदत के कारण उसे कई समझौते भी करने पड़ते हैं। कभी-कभी स्थान के मालिक या उसके परिजनों- मित्रों को न चाहते हुए भी फिल्म में काम देना पड़ता है। इससे फिल्म की गुणवत्ता पर फर्क पड़ता है। यह कहना था निर्माता-निर्देशक- अभिनेता मोहन कटारिया का। वे राजस्थानी फिल्मां रो उच्छब आयोजन समिति की ओर से होटल लक्ष्मी विलास में आयोजित पहचान क्यों नहीं बना पा रही हैं राजस्थानी फिल्में विषयक गोष्ठी में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने राजस्थानी फिल्मों से जुड़ी अनेक समस्याओं को उजागर किया।
सरकार का उपेक्षापूर्ण रवैया
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थानी फिल्मों के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार करती है। यहां की लोकेशन के रेट इतने अधिक है कि वह वहां शूटिंग करने की सोच ही नहीं सकता। इसलिए उसे मजबूरी में खेत- खलिहान, बागों , मकानों आदि में शूटिंग करनी पड़ती है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह राजस्थानी फिल्मों को निशुल्क लोकेशन उपलब्ध कराए। फिल्म पूरी होने पर अनिवार्य रूप से उसे टैक्स फ्री किया जाए, ताकि अधिक से अधिक संख्या में दर्शक राजस्थानी फिल्म को देख सकें।
नहीं मिल पाता श्रेष्ठी वर्ग का दर्शक
कटारिया ने कहा कि राजस्थानी फिल्मों को श्रेष्ठ वर्ग का दर्शक भी नहीं मिल पाता। इसका कारण यह है कि वे राजस्थानी फिल्मों को हेय दृष्टि से देखते हैं। राजस्थानी फिल्में भी इसके लिए एक हद तक जिम्मेदार हैं। क्योंकि वह अपना स्तर बनाने में समर्थ नहीं रह पातीं। इसका मुख्य कारण इनका सीमित बजट है।
अच्छे विषय पर बनें फिल्में
कटारिया ने इस बात की भी जरूरत बताई कि राजस्थानी फिल्म निर्माताओं को अपनी हीन भावना छोडऩी होगी। उन्हें अच्छे विषयों का चुनाव करते हुए स्तरीय फिल्म बनानी चाहिए, ताकि उसे अच्छे दर्शक मिल सकें।
(अन्य वक्ताओं ने क्या कहा और क्या दिए सुझाव पढ़ें अगली पोस्ट में)

1 टिप्पणी

Shekhar Kumawat ने कहा…

BILKUL SAHI VICHAR RAKHE HE AAP NE
KUCH SOCHANA CHAHIYE ISKE BARE ME


SHEKHAR KUMAWAT

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