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राजस्थानी फिल्म महोत्सव : दूसरे दिन फिल्म डूंगर रो भेद और बाबा रामदेव का प्रदर्शन किया गया, वहीं कृष्णायन में राजस्थानी फिल्मों के तकनीकी पक्ष पर हुआ विचार-विमर्श
 सुरेन्द्र बगवाड़ा . जयपुर
राजस्थानी फिल्म महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को जहां रंगायन सभागार में फिल्म 'डूंगर रो भेदÓ और 'बाबा रामदेवÓ का प्रदर्शन किया गया, वहीं कृष्णायन में 'राजस्थानी फिल्मों के तकनीकी पक्षÓ पर विचार-विमर्श हुआ। इस मौके पर निर्माता महेन्द्र धारीवाल ने कहा कि यदि सही तरीके से फिल्मों का बाजारीकरण हो तो इन्हीं फिल्मों से सोना कमाया जा सकता है। उन्होंने राज्य सरकार से राजस्थानी फिल्मों के लिए सिनेमा हॉल की मांग रखी। दूसरे सेशन 'राजस्थानी फिल्मों का गीत संगीतÓ में साहित्यकार इकराम राजस्थानी ने अपने गीतों की रचनाएं सुनाईं। उन्होंने कहा कि गीत के अनुकुल संगीत हो, संगीत के अनुकूल फिल्मांकन हो, तब ही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देख सकते हैं। संगीतकार ललित सेन ने कहा कि यही भाषा है, जो हर प्रदेश के चैनलों पर टीवी सीरियलों के माध्यम से सुनाई दे रही है। यूपी, पंजाब, गुजरात जैसे प्रदेशों के संगीत का खजाना खत्म हो चुका है। राजस्थानी खुला है खुला ही रहेगा। जेकेके महानिदेशक हरसहाय मीणा ने कहा कि जनवरी 2012 में अप्रवासी सम्मेलन में महोत्सव का लाभ मिलेगा। शाम को 'गीतां रो गजरौÓ का प्रदर्शन हुआ। रविवार को 3 बजे 'सुपात्तर बीनणीÓ और शाम 6 बजे 'भोमलीÓ फिल्म का प्रदर्शन होगा।
(source-citybhaskar,jaipur

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