सास छुरी बहू छप्पन छुरी

राजस्थानी भाषा में बड़े बजट की फिल्मों के अकाल को दूर करने के लिए निर्माता महेन्द्र धारीवाल बनाएंगे सास-बहू कहानी पर फिल्म
सुरेन्द्र बगवाड़ा . जयपुर
राजस्थानी भाषा ने मान-सम्मान दिया है। ‘रमकुड़ी झमकुड़ी’, ‘भोमली’ हमेशा मानस पलट पर रहती हैं। उस समय की यादें और बातें हमेशा प्रोत्साहित करती हैं। कहती हैं ‘मैं हूं तो सब है, सब है तो मैं हूं।’ इसलिए एक बार फिर मेरी मरुधरा पर लौटने का मन हो रहा है। महोत्सव में विचार-विमर्श सेशन में शामिल होने के बाद लगा कि मेरी मां को मेरी जरूरत है। रात को सोते समय काफी सोचा। उसी समय तय कर लिया कि अब राजस्थानी भाषा और सिनेमा को वापस आसमान की ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए पहल करनी होगी। तभी सोचा कि अभी तक सास बहू पर हावी होती है, लेकिन अब मनोरंजन के लिए सास पर बहू को हावी करना होगा। कहानी सोची। ‘सास छुरी बहू छप्पन छुरी’। जनवरी में राजस्थानी में शूटिंग शुरू करूंगा। इसमें कुछ कलाकार बॉलीवुड और अधिक राजस्थानी होंगे। बेटा चिराग सनी देओल, अरशद और तुषार को लेकर फिल्म ‘बैंड बाजे देंगे’ रिलीज करेगा।
राजस्थानी चला मुंबई
‘भोमली’ करने के बाद लगता था कि अब मैं बड़ा हो गया हूं। सभी जानते हैं। चलो सबसे बड़ी फिल्म बनाता हूं। ‘जाटणी’ बनाई, परंतु चली नहीं। आर्थिक रूप से जरूर कमजोर पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और चल निकला मुंबई। टी.एल.वी. प्रसाद के साथ मिथुन को लेकर फिल्म ‘हत्यारा’ की। फिर मिथुन के साथ कई प्रोजेक्ट किए। एक लंबे अंतराल के बाद सुनील दर्शन (जानवर, तलाश, इंतकाम के निर्देशक) से मिला। उन्होंने टीनू वर्मा से मिलाया। वे भी निर्देशन में आना चाहते थे। उन्होंने सनी देओल को लेकर ‘मां तुझे सलाम’ की। फिल्म चली। और मैं भी चल निकला।
(source-citybhaskar,jaipur )

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